जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाज़ा न कर सकें उसके सामने ज़ुबान से इज़हार करना सिर्फ लफ्ज़ो को बर्बाद करना हैं "हज़रत अली
"

Tuesday 16 July 2013

प्यारे नबी कि प्यारी बातैं

प्यारे नबी कि प्यारी बातैं

हजरत अबू हुरैरा रदियल्लाहो अन्हो का बयान है अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया जिसने ईमान की हालत में सवाब की नियत से रमजान के रोज़े रखे उसके अगले गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं (बुखारी शरीफ )
हजरत बीवी आइशा का बयान है अल्लाह के रसूल साल के और महीनों कि बनिस्बत रमजान में ज्यादा इबादत किया करते और रमजान के आखिरी दिनों में तो सब से ज्यादा ! (मुस्लिम शरीफ )

जिसने रमजान के  महीने के रोज़े रखे और  ईद के बाद 6 रोज़े और रखे तो गोया उसने पुरे साल का रोज़ा रखा ! (मुस्लिम शरीफ)

हजरत  बीवी आयशा ने अल्लाह के रसूल से पूछा - या रसूलल्लाह ! अगर मुझे लैलतुल कद्र के बारे में पता चल जाए  की आज की  रात ही लैलतुल  कद्र है तो मैं उसमे कौन सी दुआ पढू ? आपने फ़रमाया यह दुआ पढो अल्लाहुम्मा इन्नका अफुवुन तुहिब्बुल अफ्त ,फअफो  अन्नी !(तिर्मिजी ) 

हजरत अबू कतादा अंसारी का बयान  है-अल्लाह के रसूल से लोगों ने अरफा के रोज़े के बारे   में पूछा  तो आपने फ़रमाया -अरफा के एक दिन का रोज़ा साल के अगले पिछले साल के गुनाहों को मिटा देता है ! (मुस्लिम शरीफ )
सेहरी किया करो क्योकि उस में बरकत है !(बुखारी शरीफ )

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