जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाज़ा न कर सकें उसके सामने ज़ुबान से इज़हार करना सिर्फ लफ्ज़ो को बर्बाद करना हैं "हज़रत अली
"

Wednesday 17 July 2013

DUAA

रमजान की रातों में 

रमजान की हर रात तीन बार यह दुआ पढ़ें -
ला इलाहा इल्ल्ल्लाहुल हलीमुल करीम सुब्हान्ल्लाहे 
रब्बिस्समावातिस शबे व रब्बिल अर्शील अज़ीम !
इसके पढ़ने से रहमते इलाही व फज्ले खुदा वन्दी से मालामाल होंगे !  (इंशाअल्लाह )

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