जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाज़ा न कर सकें उसके सामने ज़ुबान से इज़हार करना सिर्फ लफ्ज़ो को बर्बाद करना हैं "हज़रत अली
"

Sunday, 14 July 2013

रमजानुल मुबारक 

रमजान रम्जुन से बना है जिसका मतलब जलाने और गर्म है इस माहे मुबारक की बरकत से नफ्स की ख्वाहिशात खत्म हो जाती है और बुराइया दूर होती है एक आलिमे दीन लिखते है की रोजों में भूक प्यास की तकलीफ और गर्मी बर्दाश्त करनी पड़ती है इस वजह से रमजान  नाम रखा गया है
हजरत अनस बिन मालिक से रिवायत है कि हुजुर पुरनूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया "रमजान का नाम रमजान इस वजह से रखा गया है कि इसमें गुनाह जल जाते है '
सूरह बकर शरीफ में है कि "ऐ ईमान वालों ! तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किये गये जैसे अगलो पर फ़र्ज़ थे की कही तुम्हे परहेजगारी मिले "
यानी परहेजगारी पैदा हो और गुनाहों से दुरी हासिल हों फिर उसी सूरह में फ़रमाया है "रमजान का महीना है जिसमे कुरआन उतरा ! लोगो के लिए हिदायत और रहनुमाई और फैसले की रोशन बाते " 

No comments:

Post a Comment