जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाज़ा न कर सकें उसके सामने ज़ुबान से इज़हार करना सिर्फ लफ्ज़ो को बर्बाद करना हैं "हज़रत अली
"

Friday 5 October 2012

AJMER SHARIF

 HAZART  KHAWAJA GARIB NAWAZ
जिन जर्रो ने बोसे तेरे कदमों के लिए थे
उन जर्रो को सूरज की किरण चूम रही है
KGN
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MAZAR SHARIFTARAGHAD


TARAGHAD















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